Saturday, May 17, 2014

तन्हाई



खो दिया है तुझको दूर रख कर मुझसे,
हो गयी ये खता अब मुझसे,
नाता है दिल का ये तुझसे,
न मर सकूँ न जी सकूँ,
अब रह कर दूर तुझसे,
दूर रह कर भूल न पाऊ एक पल भी,
न रहा अब कोई सरोकार ही मेरा मुझसे,
दूर हुआ इस कदर में तुझसे,
शायद मैं ही न मिल सकूँ कभी अब मुझसे,
एक खता की मिली ये सजा है मुझको,
पाकर ही खो दिया है अब तुझको,
रात दिन अब एक शिकायत हैं मेरी मुझसे,
क्या करूँ ऐसा अब की खुद को मिला दूँ तुझसे,
इस तन्हाई ने पुछा है ये सवाल अब मुझसे,
सुन के सवाल इस तन्हाई का,
न मिला अब पा रहा हूँ ये नजरें ही खुद से.....
खो दिया है तुझको दूर रख कर मुझसे,
हो गयी ये खता अब मुझसे,
नाता है दिल का ये तुझसे,
न मर सकूँ न जी सकूँ,
अब रह कर दूर तुझसे.......

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