Saturday, May 17, 2014

रूप सुहाना इस दुनिया का.....



रूप सुहाना इस दुनिया का
पर इस दुनिया के लोगों के हैं रूप हजार
पल में पास आते है, करते है इजहार दोस्ती का
दूसरे ही पल हो जाते है बेगाने ये बीच बाज़ार....
रूप सुहाना इस दुनिया का
पर इस दुनिया के लोगों के हैं रूप हजार....
मिलके जानते है ये दिल का हर हाल
उसी दिल को बाद में करते है ये बेहाल
ऐसा नहीं समझया नहीं किसी ने हमको कितनी बार,
समझाया हर बार ऐसे जैसे हम हो उनके ही लाल....
रूप सुहाना इस दुनिया का
पर इस दुनिया के लोगों के हैं रूप हजार.....
समझने की उस कड़ी में कुछ इस तरह हम मग्न हुए
अपने कम और उनके ही बस हम हुए
जा रहे थे दूर हमसे वो कुछ समय बाद
पर हर कदम पर दूर उनसे हम हुए........
रूप सुहाना इस दुनिया का
पर इस दुनिया के लोगों के हैं रूप हजार......
वो जाते गए दूर और गुम हुए
वो तो खुश थे दूर जाकर भी हमसे
पर हमारे ही ये नेन नम हुए .....
रूप सुहाना इस दुनिया का
पर इस दुनिया के लोगों के हैं रूप हजार....
भूल गए वो जाकर दूर हमसे इस कदर
मुड़कर एक बार भी ख्याल नहीं आया उन्हें
पर अभी भी हम सोच में ही थे की क्या खता हुई हमसे इस कदर
की यूँ छोड़ दिया उन्होंने हमें....
रूप सुहाना इस दुनिया का
पर इस दुनिया के लोगों के हैं रूप हजार.....
कोसते रहे इसी तरह पल पल खुद को उनकी की याद में
उन्होंने एक पल भी न सोचो की क्या होगा हमारा बाद में
वो अकेले थे इसी लिए मिल गया साथ दूसरा
और हम लिए याद उनकी हो गए अकेले बाद में....
रूप सुहाना इस दुनिया का
पर इस दुनिया के लोगों के हैं रूप हजार.....
पल में पास आते है, करते है इजहार दोस्ती का
दूसरे ही पल हो जाते है बेगाने ये बीच बाज़ार....
रूप सुहाना इस दुनिया का
पर इस दुनिया के लोगों के हैं रूप हजार.....

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