Saturday, June 21, 2014

उम्मीद बिन जीवन ही सार…



सबसे प्यारा तू ही मेरे यार,
बेइंतहा महोब्बत करते हैं तुझसे यार,
तू है तो है मेरे इस जीवन का सार,
जिसमे भरा तुमने बहुत सारा प्यार,
उम्मीदें दिल की तो बड़ती रहती है हर बार,
पर क्या पूरी होती है हसरते हजार,
इसलिए जीवन में बना एक शब्द इंतजार,
जिसमे बीते कई तीज और त्यौहार,
थक के बेठे तो हार,
लेट गए अगर तो हार,
सोचा क्यों मन किया बेकार,
तुझसे भी हुआ ख़राब व्यव्हार,
उम्मीदों को समेट अब मैंने जीता संसार,
भूल गया में क्या होती है हार,
क्या करना था, क्या होना था,
कितना मिलना था, कितना मिला,
भूल सब कुछ, इन सबसे किया किनार,
भूल के सारे उम्मीदें और टकरार,
हर लम्हे का किया सत्कार,
वो गलत हो चाहे हजार बार,
जानकर भी सब हम ही माने हार,
क्योंकि तुमसे लड़ना, खुद से लड़ना,
तो फिर खुद से लड़ना तो सबसे ही बेकार......
सबसे प्यारा तू ही मेरे यार,
बेइंतहा महोब्बत करते हैं तुझसे यार,
तू है तो है मेरे इस जीवन का सार,
जिसमे भरा तुमने बहुत सारा प्यार.....

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