पता नहीं जिंदगी में कब वो
मुकाम आये
जहाँ पहुँच कर देखू और सब
मुस्कुराते हुए पाए जाये
बाँट पाया जितनी खुशी,
मैंने बाँट दी,
देखना अब है यारों
कि कितनी खुशियाँ किसने
बटोर ली
बिना भेदभाव बांटी थी मैंने
ततो सबको
देंखुंगा लौट कर तो पता
चलेगा
कि कौन खुशियाँ बटोर कर भी
खुश नहीं है
और कोई मुझे खुशियाँ बांटते
देखकर ही खुश है
कोई मुझे खुशियाँ बांटते
देखकर ही खुश है
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