Saturday, December 22, 2012

शब्द


शब्द की कोई पहचान नहीं हैं
पर हर एक पहचान के लिये शब्द जरुर हैं
शब्द ही है जो तारीफ सुनवाता है
शब्द ही है जो अपशब्द सुनवाता है
शब्द से बढता मान है
शब्द ही कराता अपमान है
शब्द ही है नाम है और खाभी शब्द ही होता गुमनाम है
क्यों बंधा है शब्दों के बंधन से इंसान
क्योंकि जब बोलता है तो वो ही बांटी उसकी पहचान
खुद का कोई मोल नहीं रहता,
और महान इंसान के मुह से  निकला शब्द अनमोल ही रहता
कोई सीमा कोई मर्यादा तय नहीं कर पाया कोई शब्द की
पर देखो रब का खेल उसी एक शब्द से तय कर दे सीमा सब की.
उसी एक शब्द से तय कर दे सीमा सब की.............

No comments:

Post a Comment